हिसार का गुजरी महल: प्रेम और इतिहास की एक अमर निशानी
हिसार, हरियाणा में स्थित गुजरी महल, एक ऐसी प्रेम कहानी की याद दिलाता है जिसने दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक को अपने दरबार को दिल्ली से हिसार स्थानांतरित करने पर मजबूर कर दिया था। यह महल 1354 में सुल्तान फिरोज शाह तुगलक द्वारा उनकी प्रेमिका गुजरी के लिए बनवाया गया था, जो उनकी गहरी प्रेम कथा का साक्षी है।
प्रेम कहानी का आरंभ
यह कहानी उस समय की है जब एक दिन सुल्तान फिरोज शाह तुगलक शिकार के लिए जंगल में गए थे। शिकार के दौरान, उन्हें अत्यधिक प्यास लगी, लेकिन रेतले और ऊबड़-खाबड़ इलाके में पानी मिलना मुश्किल था। प्यास से बेहाल होकर सुल्तान घोड़े से गिरकर बेहोश हो गए। तभी वहां से एक गुज्जरी लड़की गुजर रही थी, जो दूध बेचने का काम करती थी। उसने सुल्तान को इस हालत में देखा और तुरंत उन्हें दूध पिलाया, जिससे सुल्तान को होश आ गया।
गुजरी की सुंदरता और उसकी मदद करने की भावना से प्रभावित होकर सुल्तान फिरोज शाह तुगलक का वहां बार-बार आना-जाना शुरू हो गया। धीरे-धीरे, दोनों के बीच एक अच्छी दोस्ती हो गई, और सुल्तान गुजरी के प्रेम में पड़ गए।
महल का निर्माण और प्रेम की निशानी
जब फिरोज शाह तुगलक ने गद्दी संभाली, तो उन्होंने गुजरी से शादी का प्रस्ताव रखा और उनसे दिल्ली चलने को कहा। गुजरी ने शादी के लिए तो हाँ कर दी, लेकिन दिल्ली जाने से मना कर दिया। गुजरी की इस शर्त के कारण सुल्तान ने अपना दरबार दिल्ली से हिसार स्थानांतरित कर दिया और गुजरी के लिए एक विशेष महल बनवाया, जिसे हम आज गुजरी महल के नाम से जानते हैं। इस महल का निर्माण मात्र दो वर्षों में पूरा हुआ था।
गुजरी महल की भव्यता
गुजरी महल का निर्माण काले पत्थरों से किया गया था और यह महल अपने समय की एक भव्य इमारत थी। महल का निचला हिस्सा अब भी अपनी भव्यता को दर्शाता है, और इसके बगल में स्थित “लाट की मस्जिद” इसकी ऐतिहासिकता को और भी बढ़ा देती है। यह महल दीवान-ए-आम के पूर्वी हिस्से में स्थित है, जहाँ सुल्तान कचहरी लगाते थे। महल के खंडहर इस बात के गवाह हैं कि यह कभी एक विशाल और भव्य संरचना रही होगी।
फिरोज शाह तुगलक: एक परिचय
फिरोज शाह तुगलक तुगलक वंश का एक प्रमुख शासक था, जिसका जन्म 1309 में हुआ था और उसने 1351 से 1388 तक शासन किया। वह एक धर्मनिष्ठ सुन्नी मुसलमान था और उसने अपने शासनकाल में कई प्रशासनिक और सामाजिक सुधार किए। फिरोज शाह ने अपने शासनकाल में चांदी के सिक्कों की शुरुआत की और दिल्ली में अपने राज्याभिषेक के बाद कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जिनमें किसानों के कर्ज माफ करना भी शामिल था।
गुजरी महल, प्रेम और इतिहास की इस अद्भुत कहानी का प्रतीक है, जो आज भी प्रेम की अमरता को दर्शाता है।
Gujari Mahal of Hisar: A Testament of Love and History
Located in Hisar, Haryana, Gujari Mahal stands as a symbol of a love story so powerful that it compelled Sultan Firoz Shah Tughlaq to move his court from Delhi to Hisar. This palace was constructed in 1354 by Sultan Firoz Shah Tughlaq for his beloved Gujari, serving as a lasting witness to their deep love.
The Beginning of the Love Story
The story begins when Sultan Firoz Shah Tughlaq went hunting in the dense forests. During his hunt, he became extremely thirsty, but due to the sandy and rugged terrain, water was scarce. Overcome by thirst, the Sultan fell from his horse and fainted. At that moment, a Gujari girl, who sold milk, was passing by. Seeing the Sultan in such a state, she quickly gave him some milk, which revived him.
Impressed by Gujari’s beauty and her kindness, Sultan Firoz Shah Tughlaq began visiting her frequently. Gradually, a close friendship developed between them, and the Sultan fell deeply in love with Gujari.
Construction of the Palace: A Symbol of Love
When Firoz Shah Tughlaq ascended the throne, he proposed to Gujari and asked her to move to Delhi with him. Gujari agreed to marry him but refused to leave her village. Due to her condition, the Sultan decided to relocate his court from Delhi to Hisar and built a special palace for her, known today as Gujari Mahal. The construction of this palace was completed in just two years.
The Grandeur of Gujari Mahal
Constructed with black stones, Gujari Mahal was a magnificent structure in its time. The lower part of the palace still reflects its former grandeur, and the nearby “Lat Ki Masjid” adds to its historical significance. The palace is located in the eastern part of Diwan-e-Aam, where the Sultan used to hold court. The ruins of the palace are a testament to its once majestic and vast architecture.
Firoz Shah Tughlaq: An Introduction
Firoz Shah Tughlaq was a prominent ruler of the Tughlaq dynasty, born in 1309, who reigned from 1351 to 1388. A devout Sunni Muslim, he introduced several administrative and social reforms during his rule. Firoz Shah initiated the minting of silver coins and made significant decisions after his coronation in Delhi, including the cancellation of debts owed by farmers.
Gujari Mahal is a symbol of love and history, standing as a testament to the enduring power of love, even today.